फर्क इससे नहीं पड़ता है कि कौन तुम्हारे साथ है और कौन नहीं। फर्क इस बात से पड़ता है कि तुम खुद को कितना वक़्त दे रहे हो और कितना खुद को बदल रहे हो। यकीन मानों ज़िन्दगी के हर पड़ाव में तुमको कुछ न कुछ बदलाव लाने ही होंगे। बिना उनके तुम वही बने रहोगे जो तुम थे।
इस सफर में( जो खूबसूरत भी है और उतना ही भयानक भी ) तुम न जाने कितनों से मिलोगे और उनमे से कुछ ऐसे भी होंगे जो शायद कई सालों तक तुम्हारे साथ रहेंगे। कुछ को तुम कभी खोना नहीं चाहोगे मगर फिर भी उनका होना न होना एक ही तरह की बात होगी।
अनगिनत परेशानियों से मिलकर उससे निकलकर तुम खुद को ही बेहतरीन करते रहोगे।
और तुम्हारी ये कभी न रुकने की आदत तुमको हर तरफ से विकसित करती रहेगी ❤️
©Nishant Saxena
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