White हर वह सख्श अपना नहीं होता जो साथ हो,
यहां हर किसी ने कुछ सांप पाले हुए है।
समन्दर को शांत देख उसकी गहराई का अंदाजा लगाने वाले,
कई यहां गलतफैमी पाले हुए है।
गुरूर है एक सख्श को अपनी बादशाहत का,
आखिर उस बादशाह ने भी कुछ चाटुकार पाले हुए है।
एक दिन आएगा की उसकी कुर्सी भी डगमगाएगी,
देर से ही पर समंदर में भी तूफान आएगा जरूर।
और ऐसे हजारों चमचों को वो निगल जाएगा,
जो सांप पाले है वो भी बच के किधर जाएगा।
गैरों की इस भीड़ में अपने भी मिल जाएंगे,
जिस दिन उस बादशाह को भी शिकस्त दी जाएगी।
©Ashish Yadav
#sad_shayari