कैसे बताऊ अपनी दस्ता... मन की लिखू तो सब्द रूठ जात
"कैसे बताऊ अपनी दस्ता...
मन की लिखू तो सब्द रूठ जाते है..
और सच लिखू तो अपने रूठ जाते है..
जिंदगी को समझ पाना मुश्किल है जनाब
क्योकि कोई सपनो के खातिर अपनो से दूर रहता है,
और कोई अपनो के खातिर सपनो से.."
कैसे बताऊ अपनी दस्ता...
मन की लिखू तो सब्द रूठ जाते है..
और सच लिखू तो अपने रूठ जाते है..
जिंदगी को समझ पाना मुश्किल है जनाब
क्योकि कोई सपनो के खातिर अपनो से दूर रहता है,
और कोई अपनो के खातिर सपनो से..