राज़ सभी से एक दिन खोलेगा मेरे, अपने सिर इल्ज़ाम सभी | हिंदी शायरी

"राज़ सभी से एक दिन खोलेगा मेरे, अपने सिर इल्ज़ाम सभी रख लेगा मेरे । मुझको इस उम्मीद ने ज़िंदा रखा है, एक दिन तू भी हक़ में बोलेगा मेरे  । - दुर्गेश कसौधन"

 राज़ सभी से एक दिन खोलेगा मेरे,
अपने सिर इल्ज़ाम सभी रख लेगा मेरे ।

मुझको इस उम्मीद ने ज़िंदा रखा है,
एक दिन तू भी हक़ में बोलेगा मेरे  ।

- दुर्गेश कसौधन

राज़ सभी से एक दिन खोलेगा मेरे, अपने सिर इल्ज़ाम सभी रख लेगा मेरे । मुझको इस उम्मीद ने ज़िंदा रखा है, एक दिन तू भी हक़ में बोलेगा मेरे  । - दुर्गेश कसौधन

jaanusingh @meehika upadhyay @Aman Raj 🌹Adhoori Khwahish🌹 @Mahendra Sinha

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