मुझसे मेरी तकलीफें अब किसी से बताई नहीं जाती
ये दुनियावी रीत रिवाज़ और रस्मे निभाई नहीं जाती
किसी भी वजह से अपनी तबीयत नासाज़ या खुश कैसे कर लूं
ये तो तबीयत है , खुद बहल जाती है , बहलाई नहीं जाती
सर्दियां चल रही हैं फिर भी जिस्म की गर्माई नहीं जाती
हर किसी से अपने दिल की बात फरमाई नही जाती
दुनिया तो सख्त और बेरहम है उससे क्या अब गिला करें
दुनिया के सख्त होने पे भी हमारी नरमाई नही जाती
©Nitin sharma
#Dark