स्वलिखित संस्कृत रचना
शीर्षक
चन्द्रः न नियतः
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विधा
मन के भाव
भाषा शैली संस्कृत स्वलिखित रचना हिन्दी अनुवाद सहित
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भाव कुछ मन के होते हैं जो हर लड़की के मन में होते हैं
किसी के पूरे तो किसी के अधूरे रह जाते हैं,
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चन्द्रः न नियतः,
किं क्रीडा यत् ईश्वरः क्रीडितः, सः अस्य
चन्द्रस्य चन्द्रं कर्तुं विस्मृतवान्, सः सर्वेषां
चन्द्रं कृतवान्, तस्य दैवं तस्य जीवनम्,
कथं लिखितम्, न चन्द्रस्य सम्बोधनं न च
दैवं मग्नं अवशिष्टम्, क्वचित् मेघचन्द्रः
अभवत्, कदाचित् पृथिवी किन्तु तरुः चन्द्रः
न निर्मितः, अस्मिन् जन्मनि भाग्यं नास्ति,
चन्द्रस्य आगमनं ततः परं जन्म प्रतीक्ष्यताम्,।
चांद नसीब नहीं
उस रब ने भी क्या खूब खेल रचा इस चांद
का चांद बनाना भूल गया,
बनाया उसने सबके ही चांद तकदीर अपनी
जानें कैसी लिखी गई,
न चांद का पता न तकदीर का डूबा रह गया
कहीं बदली का चांद बन कहीं,
शायद धरती पर तरु का चांद बना ही नहीं,
नसीब नहीं ये जन्म चांद का आना फिर अगले
जन्म इंतजार सही,
तरुणा शर्मा तरु
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#चांद
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