दीदार का विसाल में आया न कोई लुत्फ़ उस रुख़ पे बे | हिंदी Shayari Vid

"दीदार का विसाल में आया न कोई लुत्फ़ उस रुख़ पे बे-रुख़ी के थे पर्दे पड़े हुए ©Mohd Arsalaan Mohazzabi "

दीदार का विसाल में आया न कोई लुत्फ़ उस रुख़ पे बे-रुख़ी के थे पर्दे पड़े हुए ©Mohd Arsalaan Mohazzabi

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