प्रेम प्रकट करें
©Roopanjali singh parmar
किसी के जाने के बाद एक जगह ख़ाली हो जाती है। एक रिक्त स्थान!
ऐसा रिक्त स्थान जो कभी नहीं भरता।
मैं कभी-कभी सोचती हूँ कि लोग ज़िंदगी से जाते क्यों हैं?
हाँ! मगर किसी के ज़िंदगी में आने पर कभी मेरे दिल में इतने सवाल नहीं उठे। मुझे लगता है कि किसी का चले जाना एक ऐसा विषय है जिस पर कभी कोई किताब नहीं लिखी गई या शायद कोई चर्चा ही नहीं कि गई।
क्योंकि चर्चा की जाती या किताब लिखी जाती तो यह सवाल मुझे आधी रात को खींचकर मेरे रिक्त होते स्थान की ओर नहीं ले जाता।
'वो चला गया'.. यह वाक्य तुम्हें दुःखद नहीं लगता?
अच्छा! अजीब बात यह है कि किसी की अनुपस्थिति हमें उस इंसान के और भी करीब कर देती है और उपस्थिति तो जैसे महसूस ही नहीं होती।
यहाँ 'अनुपस्थिति' का अर्थ केवल मृत्यु का होना नहीं है। दरअसल मृत्यु होने पर तो हमें प्रेम हो जाता है।