माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I तुझे हर खुशी मैं | हिंदी Shayari

"माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II तेरे लहू से सीचा हूँ तेरा ही अक्स हूँ मैं । तुझ बिन अधूरा सा हूँ तुझे पाकर पूरा हूँ मैं।। माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II तू वो शक्ति है जिसमें रब की भक्ति है। तू सब की जरूरत है तेरी सूरत रब की मूरत है।। माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II माँ तुमने सारे दुख हंस के सहे पर तुमने किसी से ना कहे। अब तेरे सारे दुखों का बोझ अपने कान्धे पर उठा लूँगा मैं II माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II - N@¥@N $H@RM@...✍🏻👼🏻❤🧚🏻‍♀️"

 माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I
तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II

तेरे लहू से सीचा हूँ
तेरा ही अक्स हूँ मैं ।
तुझ बिन अधूरा सा हूँ
तुझे पाकर पूरा हूँ मैं।।

माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I
तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II

तू वो शक्ति है
जिसमें रब की भक्ति है।
तू सब की जरूरत है 
तेरी सूरत रब की मूरत है।।

माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I
तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II

माँ तुमने सारे दुख हंस के सहे
पर तुमने किसी से ना कहे।
अब तेरे सारे दुखों का बोझ
अपने कान्धे पर उठा लूँगा मैं II 

माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I
तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II

- N@¥@N $H@RM@...✍🏻👼🏻❤🧚🏻‍♀️

माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II तेरे लहू से सीचा हूँ तेरा ही अक्स हूँ मैं । तुझ बिन अधूरा सा हूँ तुझे पाकर पूरा हूँ मैं।। माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II तू वो शक्ति है जिसमें रब की भक्ति है। तू सब की जरूरत है तेरी सूरत रब की मूरत है।। माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II माँ तुमने सारे दुख हंस के सहे पर तुमने किसी से ना कहे। अब तेरे सारे दुखों का बोझ अपने कान्धे पर उठा लूँगा मैं II माँ तेरे ही आँचल में सोना चाहूँ I तुझे हर खुशी मैं देना चाहूँ II - N@¥@N $H@RM@...✍🏻👼🏻❤🧚🏻‍♀️

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