ना पूछो वो रात कैसे गुजरी...
जो तेरे बाद गुजरी...
ना पूछो वो बात कैसे कहेंगे
नाजुक सा दिल है मेरा...
दिल पर इतने दर्द कैसे सहेंगे...
ना पूछो वो हर किसी शक्स में तुझे ढूंढना...
ओर ढूंढते ढूंढते खुद ही गुम हो जाना...
जमाने से छिपाए हजारों किस्से है...
तुजसे ना मिल कर भी तुझसे ही मिले है...
ना पूछो वो दिन कैसे गुजरे है
कभी सोए सोए तो कभी रोए रोए से है...
ना पूछो वो रात कैसे गुजरी...
जो तेरे बाद गुजरी...
ना पूछो वो बात कैसे कहेंगे....@prit
©pratik shrimali
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