थोड़ा थम जा ,
थोड़ा ठहर जा,
ये जिंदगी है जनाब,
इसके दो पहलू है,
रुकना और चलना,
रुका तो चलना तय है,
और चला तो रुकना भी,
लेकिन सब समाप्त कर लेना
जिंदा होते हुए भी मर जाने जैसा है,
इसलिए ठहरो विचारो और
फिर से सफर पे चल पड़ो,
मंजिल मिल ही जायेगी।।
-Sandhya Kanojiya
©Sandhya
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