तुम कहते हो सब Normal है चलो माना....
लेकिन तुम्हारे सवाल, सवाल. मेरे सवाल कहां!?
तुम्हारा गुस्सा, गुस्सा. मेरी नाराजगी कहां!
तुमने अपनी तरफ की सब सुनाई,
लेकिन मेरी तरफ से जो है वो कहां!
मैंने कई बार पूछने की कोशिश की, कि आखिर मैं हूं कहां!
पर तुम्हारी नम आँखों का कारण हमेशा खुद को समझा,
इन सबके बीच तुम्हारी तरफ का प्यार कहां!
तुम्हारी चुप्पी पर मेरे सवाल,
मेरी खामोशी पर तुम कहां! तुम्हारे रूठने पर मेरा मनाना, मेरी जरूरत पर सहारा कहां!
थक जाती हूं यार ख़ुद को strong दिखाते-दिखाते
मुझे मुझसे ज्यादा जानने का दावा करते हो तो बताओ इन कहां में, मैं हूं कहां?
©Rupali Mishra