राजनीति और चाय दोनों एक जैसे होते हैं, आदत धीमी गत
"राजनीति और चाय दोनों एक जैसे होते हैं,
आदत धीमी गति से लगती है लेकिन भींचने लगती है।
कमबख्त एहसास तक नहीं होता जल्द इस बात का,
कब सियासत अपनों के बीच,लंबी लकीरें खींचने लगती है।।"
राजनीति और चाय दोनों एक जैसे होते हैं,
आदत धीमी गति से लगती है लेकिन भींचने लगती है।
कमबख्त एहसास तक नहीं होता जल्द इस बात का,
कब सियासत अपनों के बीच,लंबी लकीरें खींचने लगती है।।