कुछ लोग जिंदगी मे पेहली बारिश के बुंद की तरह होते | हिंदी कविता

"कुछ लोग जिंदगी मे पेहली बारिश के बुंद की तरह होते हैं, जब भी मन की मिट्टी तुफान की गर्मी मे तडपते हुए सब उम्मीदें छोड देती हैं तब आते हैं वो फरिश्ते जैसे पेहली बारिश की वो बुंद बनकर खुशियो की मेहक से फिरसे एक बार गिरकर उठणे की उम्मीद जगाते हैं जब भी जिंदगी का कोई मोल ना लगे, साहिल पर गिरे हुए खाली सिप जैसे लगने लगते हैं हमे ही हम तब आते हैं वो एक बुंद बनकर जो उसमे जिद की मोती बनाती हैं मानो बताते हैं वो कितने अनमोल हो तुम जब भी जेहन के बाग मे हारने के डर से आशा के फुल मुरझाते हैं तब आते हैं वो विश्वास की बुंद बनकर मानो वो जैसे जीत की ताजगी फिरसे फैलाते हैं _sensitive _ink_ ©Dr. BHAGYASHRI"

 कुछ लोग जिंदगी मे पेहली बारिश के बुंद की तरह होते हैं,
जब भी मन की मिट्टी तुफान की
  गर्मी मे तडपते हुए सब उम्मीदें छोड देती हैं
तब आते हैं वो फरिश्ते  जैसे पेहली बारिश की वो बुंद बनकर 
 खुशियो की मेहक से फिरसे एक बार गिरकर उठणे की उम्मीद जगाते हैं 
जब भी जिंदगी का कोई मोल ना लगे,
 साहिल पर गिरे हुए खाली सिप जैसे लगने लगते हैं  हमे ही हम 
तब आते हैं वो एक बुंद बनकर जो उसमे जिद की मोती बनाती हैं 
मानो बताते हैं वो कितने अनमोल हो तुम 
जब भी जेहन के बाग मे हारने के डर से  आशा के फुल मुरझाते हैं 
तब आते हैं वो 
विश्वास की बुंद बनकर 
मानो वो जैसे जीत की ताजगी फिरसे फैलाते हैं
_sensitive _ink_

©Dr. BHAGYASHRI

कुछ लोग जिंदगी मे पेहली बारिश के बुंद की तरह होते हैं, जब भी मन की मिट्टी तुफान की गर्मी मे तडपते हुए सब उम्मीदें छोड देती हैं तब आते हैं वो फरिश्ते जैसे पेहली बारिश की वो बुंद बनकर खुशियो की मेहक से फिरसे एक बार गिरकर उठणे की उम्मीद जगाते हैं जब भी जिंदगी का कोई मोल ना लगे, साहिल पर गिरे हुए खाली सिप जैसे लगने लगते हैं हमे ही हम तब आते हैं वो एक बुंद बनकर जो उसमे जिद की मोती बनाती हैं मानो बताते हैं वो कितने अनमोल हो तुम जब भी जेहन के बाग मे हारने के डर से आशा के फुल मुरझाते हैं तब आते हैं वो विश्वास की बुंद बनकर मानो वो जैसे जीत की ताजगी फिरसे फैलाते हैं _sensitive _ink_ ©Dr. BHAGYASHRI

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