जीवन क्या है एक किराये का मकान है। जीते तक अप | हिंदी कविता

"जीवन क्या है एक किराये का मकान है। जीते तक अपना फिर दुसरो का सामान है।। क्या तेरा क्या मेरा सबका मालिक तो भगवान है। अभिमान क्यो करता है रे बंदे तू भी एक मामूली इंसान है।। कवि- मनोज प्रकाश ©MANOJ TIWARI"

 जीवन   क्या  है  एक
किराये का मकान है।

जीते तक अपना फिर
दुसरो का सामान है।।

क्या तेरा क्या मेरा सबका
मालिक  तो  भगवान  है।

अभिमान क्यो करता है रे बंदे
तू भी एक मामूली इंसान है।।

कवि- मनोज प्रकाश

©MANOJ TIWARI

जीवन क्या है एक किराये का मकान है। जीते तक अपना फिर दुसरो का सामान है।। क्या तेरा क्या मेरा सबका मालिक तो भगवान है। अभिमान क्यो करता है रे बंदे तू भी एक मामूली इंसान है।। कवि- मनोज प्रकाश ©MANOJ TIWARI

#जीवनक्याहै

#VantinesDay

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