"अभी ना सही थोड़ी देर बाद आए
मग़र सवालों का जवाब आए
दिल कबतक मेज़बानी काँटो की करे
इस टहनी पर भी तो कोई गुलाब आए
दस्त-ए-साक़ी थक गए पिला-पिला कर
कहदो बादलों से बनकर शराब आए
आतिश-ए-इश्क़ में जलता शहर देखो
हैं आशिकों के दिल में इन्क़लाब आए
जिसे पढ़ने से किसी का जी न भरे
आपके चेहरे सी कोई किताब आए
वक़्त-ए-फुर्सत में मिलो किसी दिन मुझे
मोहब्बत का मेरे कुछ तो सवाब आए।।
Mukku U"