तुम समझते हो मैं समझता हूँ तुम्हारा दर्द मेरा है म | हिंदी कविता
"तुम समझते हो
मैं समझता हूँ
तुम्हारा दर्द मेरा है
मेरा दर्द तेरा
सपनों में अलगाव नही
अलग धूप अलग छाव नही
जीवन पथ
का अन्तिम छोर एक है '
प्रेम क्या हो सकता है ?
इसके अतिरिक्त
- कौशिक 'श्रेय।"
तुम समझते हो
मैं समझता हूँ
तुम्हारा दर्द मेरा है
मेरा दर्द तेरा
सपनों में अलगाव नही
अलग धूप अलग छाव नही
जीवन पथ
का अन्तिम छोर एक है '
प्रेम क्या हो सकता है ?
इसके अतिरिक्त
- कौशिक 'श्रेय।