तेरी खामोशियों को पढ़ता हूं
तेरे ख्वाबों को बुनता हूं
मैं अक्सर मेरे रातों में
तेरे यादों से लड़ता हूं
रातों को जगता हूं
तुझे महसूस मैं करता हूं
तेरी सांसों को मैं सनम
हवाओं से चुराकर रखता हूं
इस यादों के पिंजरों में
आवारा सा फिरता हूं
तुझे क्या ख़बर जानम
मैं रोज पल पल मरता हूं
आईने के सामने मैं
जब खुद को ले जाता हूं
आइना भी बोलता है
ये क्या हाल बना डाला है
अब होश कहां मुझे
जो तेरे शहर मैं चला आऊं
मैं तो मेरे मकान में ही
खोया-खोया खुद को पाता हूं
न भूख है न प्यास है
है बस तो एक आस
आज नही तो कल
मेरी जान आयेगी मेरे पास
©AbiR Jackson
Hello Nojoto ! I am a new member. I wrote this poetry. Hope you all read and enjoying ☺️
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