स्वयं में आत्मसात होकर किसी का दर्द तो किसी की खु | हिंदी Shayari

"स्वयं में आत्मसात होकर किसी का दर्द तो किसी की खुशी कोरे कागज़ पर जिवित कर जाती है जिसे पढ़ गैर का दर्द ,खुशी अपनी सी लगे गम खुशी दर्द मे भी अपनेपन का अहसास दे जाती है इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है ©Uday Singh"

 स्वयं में आत्मसात होकर 
किसी का दर्द तो किसी की खुशी
कोरे कागज़ पर जिवित कर जाती है
जिसे पढ़ गैर का दर्द ,खुशी अपनी सी लगे
गम खुशी दर्द मे भी अपनेपन का अहसास दे जाती है
इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है
इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है

©Uday Singh

स्वयं में आत्मसात होकर किसी का दर्द तो किसी की खुशी कोरे कागज़ पर जिवित कर जाती है जिसे पढ़ गैर का दर्द ,खुशी अपनी सी लगे गम खुशी दर्द मे भी अपनेपन का अहसास दे जाती है इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है ©Uday Singh

कविता कहलाती है

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