White उसने फिर याद किया नहीं,
और हमने उन्हें भुलाया नहीं।
फिर कुछ यों हुई तब्दीलियाँ,
उसने चाहा, हमने बुलाया नहीं।
दिन भर ख़ूब बादल थे मगर,
हमें मिला कहीं कोई साया नहीं।
वो ख़त पे ख़त हमें लिखता है,
मगर मिलने कभी आया नहीं।
मुठ्ठी भर लोगों पे एतबार किया हमने,
अंज़ाम यह कि धोखा कभी खाया नहीं।
एक शे‘र लिखा था तुमने, सिर्फ़ मुझपे,
ऐसा क्या है कि, कभी सुनाया नहीं।
©Sam
l#sirf mujpe