लोग आयेंगे, जायेंगे.... आप को पद दिलाने वाले भी हट

"लोग आयेंगे, जायेंगे.... आप को पद दिलाने वाले भी हटेंगे.. और दायित्व मिटाने वाले भी नपेंगे.... लेकिन जो आपके जीवन पर्यंत रहेगा वो है आपका "ज्ञान, मेहनत, प्रतिभा " इसीलिए वक्त को हाथ मे रहते हुए अपने आप को बेहतरीन करिये ! खुद पर मेहनत करते हुए हर दिन कुछ नया सीखिए, कुछ ऐसा जो आपकी छोटी छोटी बातो मे सुधार करे, आज की चमक धमक मे आने वाले कल के उज्ज्वल भविष्य को गर्त मे ना डाले क्युकी ये चमक दीपावली मे फुट रहे 3 रुपये वाले पटाखे की तरह है जो बस अपने एक निश्चित दायरे तक ही सीमित है , और सायद खुद के ही कानों तक इनकी आवाज रहती है ... अब हमारे चुनाव पर निर्भर करता है कि हमे 3 रुपये का छुरछुरी या हाईड्रोजन बम बनना है जो आने वाले भविष्य को एक मजबुत परिपाटी पर स्थिर कर सके मजबुती से स्थापित कीजिए खुद को राजनीति खुद बाहे पसारे स्वागत करेगी ©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)"

 लोग आयेंगे, जायेंगे.... आप को पद दिलाने वाले भी हटेंगे.. और दायित्व मिटाने वाले भी नपेंगे.... लेकिन जो आपके जीवन पर्यंत रहेगा वो है आपका "ज्ञान, मेहनत, प्रतिभा "      इसीलिए वक्त को हाथ मे रहते हुए अपने आप को बेहतरीन करिये !
खुद पर मेहनत करते हुए हर दिन कुछ नया सीखिए, कुछ ऐसा जो आपकी छोटी छोटी बातो मे सुधार करे, 
आज की चमक धमक मे आने वाले कल के उज्ज्वल भविष्य को गर्त मे ना डाले क्युकी ये चमक दीपावली मे फुट रहे 3 रुपये वाले पटाखे की तरह है जो बस अपने एक निश्चित दायरे तक ही सीमित है  , और सायद खुद के ही कानों तक इनकी आवाज रहती है  ... 
अब हमारे चुनाव पर निर्भर करता है कि हमे 3 रुपये का छुरछुरी या हाईड्रोजन बम बनना है जो आने वाले भविष्य को एक मजबुत परिपाटी पर स्थिर कर सके
 
मजबुती से स्थापित कीजिए खुद को 
राजनीति खुद बाहे पसारे स्वागत करेगी

©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

लोग आयेंगे, जायेंगे.... आप को पद दिलाने वाले भी हटेंगे.. और दायित्व मिटाने वाले भी नपेंगे.... लेकिन जो आपके जीवन पर्यंत रहेगा वो है आपका "ज्ञान, मेहनत, प्रतिभा " इसीलिए वक्त को हाथ मे रहते हुए अपने आप को बेहतरीन करिये ! खुद पर मेहनत करते हुए हर दिन कुछ नया सीखिए, कुछ ऐसा जो आपकी छोटी छोटी बातो मे सुधार करे, आज की चमक धमक मे आने वाले कल के उज्ज्वल भविष्य को गर्त मे ना डाले क्युकी ये चमक दीपावली मे फुट रहे 3 रुपये वाले पटाखे की तरह है जो बस अपने एक निश्चित दायरे तक ही सीमित है , और सायद खुद के ही कानों तक इनकी आवाज रहती है ... अब हमारे चुनाव पर निर्भर करता है कि हमे 3 रुपये का छुरछुरी या हाईड्रोजन बम बनना है जो आने वाले भविष्य को एक मजबुत परिपाटी पर स्थिर कर सके मजबुती से स्थापित कीजिए खुद को राजनीति खुद बाहे पसारे स्वागत करेगी ©प्रशान्त पंडित (जौनपुरिया लौंडा)

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