नाज़ुक, कमसिन, गुलाब सरीखी हो तुम,
मगर गुस्से में लाल मिर्च से तीखी हो तुम।
लड़ जाओगी, मेरे सिर चढ़ जाती हरदम,
चूहा दिखने भर से लेकिन चीखी हो तुम।
मुझे अपना दीवाना बनाने वाली ऐ हसीन,
बोलो सारी अदाएँ कहाँ से सीखी हो तुम।
©Raahi
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