एक तरफ है घर मेरा
एक तरफ मृत्यु का घेरा
ऊपर से दवाइयों का छिड़काव
ना ही कोई रेन बसेरा।
भूख ही है, प्यास भी है,
शरीर हमारा बीमार भी है
दो वक्त की रोटी को तो
तड़पता हर इंसान ही है,
फिर क्यों सिर्फ गरीब ही?
ओ गरीब तुम मर क्यों नहीं जाते
यह तकलीफ सिर्फ तुम ही क्यों हों उठाते?
विजय शर्मा ✍️
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