"ज़िन्दगी तुम्हारे माथे पर हुनर की दीप्ती,
जरूर प्रस्फुटित होगी एक दिन।
किसी की परछाई के साये में
मशगूल न होकर
जीने का खुद की तदबीर तो बुनों।
@आशुतोष यादव"
ज़िन्दगी तुम्हारे माथे पर हुनर की दीप्ती,
जरूर प्रस्फुटित होगी एक दिन।
किसी की परछाई के साये में
मशगूल न होकर
जीने का खुद की तदबीर तो बुनों।
@आशुतोष यादव