मैं रहूं या ना रहूं दुनियां में विधाता, मेरे हमदम! | हिंदी शायरी

"मैं रहूं या ना रहूं दुनियां में विधाता, मेरे हमदम! के लबों पे, हमेशा मुस्कान रखना मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी कि मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी बस मेरी तपस्या का विधाता, तू मान रखना ❤️ written by :- pallavi jha 🙂"

 मैं रहूं या ना रहूं दुनियां में विधाता,
मेरे हमदम! के लबों पे,
हमेशा मुस्कान रखना
मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी
कि मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी
बस मेरी तपस्या का विधाता,
तू मान रखना ❤️
written by :- pallavi jha 🙂

मैं रहूं या ना रहूं दुनियां में विधाता, मेरे हमदम! के लबों पे, हमेशा मुस्कान रखना मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी कि मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी बस मेरी तपस्या का विधाता, तू मान रखना ❤️ written by :- pallavi jha 🙂

मैं रहूं या ना रहूं दुनियां में विधाता,
मेरे हमदम! के लबों पे,
हमेशा मुस्कान रखना
मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी
कि मोहब्बत हमारी इम्तिहानों में है उलझी
बस मेरी तपस्या का विधाता,
तू मान रखना ❤️
#तपस्या #मोहब्बत #shayri

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