चलो, इस दीपावली एक दीप ऐसा जलाएँ,
जो मन के तम को प्रेम रुपी दीपक से हराए।
ना केवल बाहर, बल्कि हर कोने में उजियारा हो,
हमारे भीतर भी ऐसा ही आलोकित नज़ारा हो।
दिल के अंधेरों में एक रौशनी गहरे उतर जाए,
आशा की किरणें फिर से पंख फैलाएँ।
उम्मीद की लौ, धीमी नहीं, बल्कि प्रखर प्रज्वलित हो,