#StopAcidAttacks मेरे चेहरे के ये हँसते ज़ख़्म....
लाज़वाब हैं तेरे उस ज़ुल्म-ओ-सितम के सामने......
मैं तितलियों सी उड़ चलती हूँ रंगीनियाँ तलाशने......
ज़ला है चेहरा मेरा हौसला नहीं.......
फ़िर उड़ुंगी अपने सपनों के वास्ते........
जले चेहरे को देख ना आयेगा कोई वहशी यूँ मेरे रास्ते......
अकेले चली थी अकेले चलूँगी.......
क्यूँ कि आदत है मुझे एक नये जहाँ को छू लेने की.........
राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी
©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ
acid attack