*नारी*
नारी है जो दुनिया से लड़ती है,
वो अपने सम्मान के लिए जीती है ,,
नारी बोझ नहीं वायु की चंचलता है,
वो आसमान में उड़ने की हौसला रखती है,,
नारी में जो निहित है,
नारी मन से शुद्ध है,,
नारी जो नर-नारायणी भी,
जो सीता जैसी पवित्र है,,
माँ, बेटी, पत्नी, बहन,
नारी रूप अनेक,,
जिनके हर रूप में है निर्मलता,,,
जो पिया की अर्धांगिनी बन,
सात वचनों को निभाती है,,
हर जन्म में खुद को अर्पित कर,
हर लेती सबका दर्द,,
खुद दर्द में रह कर भी,
और सबका उल्थान करती है,,
प्रेम लुटाती है सब पर,
ममता की वर्षा करती है,,
कभी सीता, द्रौपदी, मीरा बन,
हर युग का कल्याण करती है,,
मर्यादा की वो गहना होती, संरकार उनका पहनावा होता,,
हर रूप में वो रिश्ते दिल से,
निभाती नारी बीज उगाती है,,
सिंचती है वो अपने ख़ून से,,,
उस हाल में भी वह सब की,
देखभाल करती,,
वो नारी ही होती है,,,,
©Jha Pallavi Jha
#नारी