ऐ वतन ऐ वतन ऐ -------वतन तुझ पे कुरबान ही --जानो-त | हिंदी कविता

"ऐ वतन ऐ वतन ऐ -------वतन तुझ पे कुरबान ही --जानो-तन उन शहीदों को शत् शत नमन जिन ने ओढ़ा है हँसकर कफ़न जान तू ही तू ही ------मेरा मन कोई तुझसा न दूजा -----चमन देख वीरों के बलिदान ------को झुक गया खुद ब खुद ही गगन झुकने देंगे तिरंगा ------न हम कर दो छलनी भले ही --बदन लौट सरहद से आऊँगा ----मैं गीले करती है माँ क्यों --नयन कह रहीं है फ़िजाये -----सभी तुम से महका है सारा --चमन सर झुकाये पर ना ------कभी कर लिये दुश्मनों ने--- जतन चूम ले "दर्द"उनके---- तू पग जिनकी रग -रग में केवल वतन मनोज दर्द मुगाँवली म प्र स्वारचित"

 ऐ वतन ऐ वतन ऐ -------वतन
तुझ पे कुरबान ही --जानो-तन

उन शहीदों को शत् शत नमन
जिन ने ओढ़ा है हँसकर कफ़न

जान तू ही तू ही ------मेरा मन
कोई तुझसा न दूजा -----चमन

देख वीरों के बलिदान ------को
झुक गया खुद ब खुद ही गगन

 झुकने देंगे तिरंगा ------न हम
कर दो छलनी भले ही --बदन

लौट सरहद से आऊँगा ----मैं 
गीले करती है माँ क्यों --नयन

कह रहीं है फ़िजाये -----सभी
तुम से महका है सारा --चमन

सर झुकाये पर ना ------कभी 
कर लिये दुश्मनों ने--- जतन

चूम ले "दर्द"उनके---- तू पग
जिनकी रग -रग में केवल वतन

मनोज दर्द मुगाँवली म प्र
स्वारचित

ऐ वतन ऐ वतन ऐ -------वतन तुझ पे कुरबान ही --जानो-तन उन शहीदों को शत् शत नमन जिन ने ओढ़ा है हँसकर कफ़न जान तू ही तू ही ------मेरा मन कोई तुझसा न दूजा -----चमन देख वीरों के बलिदान ------को झुक गया खुद ब खुद ही गगन झुकने देंगे तिरंगा ------न हम कर दो छलनी भले ही --बदन लौट सरहद से आऊँगा ----मैं गीले करती है माँ क्यों --नयन कह रहीं है फ़िजाये -----सभी तुम से महका है सारा --चमन सर झुकाये पर ना ------कभी कर लिये दुश्मनों ने--- जतन चूम ले "दर्द"उनके---- तू पग जिनकी रग -रग में केवल वतन मनोज दर्द मुगाँवली म प्र स्वारचित

#independenceday2020

People who shared love close

More like this

Trending Topic