उदासियों से कुछ अपनी यारी हो गई खता कुछ नहीं थी सज | हिंदी शायरी

"उदासियों से कुछ अपनी यारी हो गई खता कुछ नहीं थी सज़ा भारी हो गई, हमने खुद को ही चढ़ाया सलीब पर तुमसे की मौहब्बत अब वफ़ादारी हो गई... ©Anju"

 उदासियों से कुछ अपनी यारी हो गई
खता कुछ नहीं थी सज़ा भारी हो गई, 
हमने खुद को ही चढ़ाया सलीब पर 
तुमसे की मौहब्बत अब वफ़ादारी हो गई...

©Anju

उदासियों से कुछ अपनी यारी हो गई खता कुछ नहीं थी सज़ा भारी हो गई, हमने खुद को ही चढ़ाया सलीब पर तुमसे की मौहब्बत अब वफ़ादारी हो गई... ©Anju

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