फूल कहते ही रह गएँ कि छवि दार बनो, खुशबूदार बानो, | हिंदी मोटिवेशनल

"फूल कहते ही रह गएँ कि छवि दार बनो, खुशबूदार बानो, परंतु हम ना छविदार बने, ना खुशबूदार। इसलिए नहीं हो पा रहे हैं उद्धार।। नदी कहते ही रह गई कि चलनशील बनो, खुशहाल बानो, परंतु हम ना चलनशील बने ना खुशहाल, इसलिए हो पा रहे हैं बेहाल।। रवि-शशि कहते ही रह गएँ कि सर्वचेतन बनो, शीतलवान बानो, परंतु हम ना चेतन बने ना शीतलवान, इसलिए हो पा रहे हैं विघटित तन-मन।। पूर्व सुधीजन कहते ही रह गएँ कि दिल के अच्छे बनो, समाज में सच्चे बनो, परंतु हम ना अच्छे बने ना सच्चे इसलिए हो रहे हैं अक्ल के कच्चे और स्वेच्छे।। ©IG @kavi_neetesh"

 फूल कहते ही रह गएँ कि छवि
दार बनो, खुशबूदार बानो, परंतु
हम ना छविदार बने, ना खुशबूदार।
इसलिए नहीं हो पा रहे हैं उद्धार।।

नदी कहते ही रह गई कि
चलनशील बनो, खुशहाल बानो,
परंतु हम ना चलनशील बने ना
खुशहाल, इसलिए हो पा रहे हैं बेहाल।।

रवि-शशि कहते ही रह गएँ कि
सर्वचेतन बनो, शीतलवान बानो,
परंतु हम ना चेतन बने ना शीतलवान, 
इसलिए हो पा रहे हैं विघटित तन-मन।।

पूर्व सुधीजन कहते ही रह गएँ  कि 
दिल के अच्छे बनो, समाज में सच्चे बनो, 
परंतु हम ना अच्छे बने ना सच्चे
इसलिए हो रहे हैं अक्ल के कच्चे और स्वेच्छे।।

©IG @kavi_neetesh

फूल कहते ही रह गएँ कि छवि दार बनो, खुशबूदार बानो, परंतु हम ना छविदार बने, ना खुशबूदार। इसलिए नहीं हो पा रहे हैं उद्धार।। नदी कहते ही रह गई कि चलनशील बनो, खुशहाल बानो, परंतु हम ना चलनशील बने ना खुशहाल, इसलिए हो पा रहे हैं बेहाल।। रवि-शशि कहते ही रह गएँ कि सर्वचेतन बनो, शीतलवान बानो, परंतु हम ना चेतन बने ना शीतलवान, इसलिए हो पा रहे हैं विघटित तन-मन।। पूर्व सुधीजन कहते ही रह गएँ कि दिल के अच्छे बनो, समाज में सच्चे बनो, परंतु हम ना अच्छे बने ना सच्चे इसलिए हो रहे हैं अक्ल के कच्चे और स्वेच्छे।। ©IG @kavi_neetesh

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