पुलवामा केवल नाम नहीं ,कथा हमारे वीरों की।
फरवरी चौदह माह वो है,करुण दृश्य जो पीरों की।।
प्रेम दिवस को जो दुश्मन ने,खूनी होली खेली थी।
सफल तभी वह इस कारण था,न सही समय हथेली थी।।
चूहों ने जी धोखे से उन,शेरों को जी मारा था।
चालें अगर वो समझ जाते, फिर से चूहा हारा था।।
©Bharat Bhushan pathak