ये वादियां तेरे होने से यूं महकती हैं के जैसे इत्र | हिंदी Shayari

"ये वादियां तेरे होने से यूं महकती हैं के जैसे इत्र घुला हो सभी दिशाओं में तेरी यादों का हाथ थामे अब गुजरते हैं कोई रंगत ही नहीं है अब इन फिज़ाओं में किसी दरख़्त के साए में बैठ जाते है भर के तसवीर तेरी , झील सी निगाहों में तू कभी बन के हवा ज़ुल्फ से गुज़रता है अब भी शमिल है हया बनके तू अदाओं में हर एक मौसमों में तुझको मैं मेहसूस करू तू रात का है समां तू ही है सबाओं में मैं ज़िंदगी के इस सफ़र में दूर जा पहुंची तू नहीं है कहीं फिर भी तू मेरी चाहों में ये वादियां तेरे होने से यूं महकती हैं के जैसे इत्र घुला हो सभी दिशाओं में ©Deepika Sharma"

 ये वादियां तेरे होने से यूं महकती हैं
के जैसे इत्र घुला हो सभी दिशाओं में

तेरी यादों का हाथ थामे अब गुजरते हैं
कोई रंगत ही नहीं है अब इन फिज़ाओं में

किसी दरख़्त के साए में बैठ जाते है 
भर के तसवीर तेरी , झील सी निगाहों में

तू कभी बन के हवा ज़ुल्फ से गुज़रता है
अब भी शमिल है हया बनके तू अदाओं में

हर एक मौसमों में तुझको मैं मेहसूस करू
तू रात का है समां तू ही है सबाओं में

मैं ज़िंदगी के इस सफ़र में दूर जा पहुंची
तू नहीं है कहीं फिर भी तू मेरी चाहों में

ये वादियां तेरे होने से यूं महकती हैं
के जैसे इत्र घुला हो सभी दिशाओं में

©Deepika Sharma

ये वादियां तेरे होने से यूं महकती हैं के जैसे इत्र घुला हो सभी दिशाओं में तेरी यादों का हाथ थामे अब गुजरते हैं कोई रंगत ही नहीं है अब इन फिज़ाओं में किसी दरख़्त के साए में बैठ जाते है भर के तसवीर तेरी , झील सी निगाहों में तू कभी बन के हवा ज़ुल्फ से गुज़रता है अब भी शमिल है हया बनके तू अदाओं में हर एक मौसमों में तुझको मैं मेहसूस करू तू रात का है समां तू ही है सबाओं में मैं ज़िंदगी के इस सफ़र में दूर जा पहुंची तू नहीं है कहीं फिर भी तू मेरी चाहों में ये वादियां तेरे होने से यूं महकती हैं के जैसे इत्र घुला हो सभी दिशाओं में ©Deepika Sharma

एक एहसास है तू
#Couple

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