एक शाम की तरह मैं भी ढल जाऊंगा होगी सुबह, पर मैं व | हिंदी Shayari

"एक शाम की तरह मैं भी ढल जाऊंगा होगी सुबह, पर मैं वापस नहीं आऊंगा ! जमीं पर बिखर जाऊंगा बनकर एक टूटता तारा उस वक्त मांग लेना जो चाहे दिल तुम्हारा और मैं बिखर कर जमी पर, किसी के पैरों तले रौंदा चला जाऊंगा ! फिक्र खुद की नही है , ख्वाइश थी मेरी तेरी ख्वाइश बनकर ही सही पर तेरे लबों पे तो मुस्कुराऊंगा । ©Akash Vats"

 एक शाम की तरह मैं भी ढल जाऊंगा
होगी सुबह, पर मैं वापस नहीं आऊंगा !

जमीं पर बिखर जाऊंगा बनकर एक टूटता तारा
उस वक्त मांग लेना जो चाहे दिल तुम्हारा 

और मैं बिखर कर जमी पर,
किसी के पैरों तले रौंदा चला जाऊंगा !

फिक्र खुद की नही है , ख्वाइश थी मेरी

तेरी ख्वाइश बनकर ही सही पर तेरे लबों पे तो मुस्कुराऊंगा ।

©Akash Vats

एक शाम की तरह मैं भी ढल जाऊंगा होगी सुबह, पर मैं वापस नहीं आऊंगा ! जमीं पर बिखर जाऊंगा बनकर एक टूटता तारा उस वक्त मांग लेना जो चाहे दिल तुम्हारा और मैं बिखर कर जमी पर, किसी के पैरों तले रौंदा चला जाऊंगा ! फिक्र खुद की नही है , ख्वाइश थी मेरी तेरी ख्वाइश बनकर ही सही पर तेरे लबों पे तो मुस्कुराऊंगा । ©Akash Vats

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