ख्वाबों का एक छोटा घराना
मन में लेकर बैठा हु
नींद नहीं आती रातों को
बस चिंता में बैठा हु
जाने कब जागेंगे सपने
इन सोई हुई उम्मीदों के
कब देखूंगा सपना मेभि
उगने वाली किरणों के
मन की सनका रोज पूछती
बची कूची उम्मीदों का
रास्ता देख रही है नींदें
बिन निंदो के सपनो का
©Gudvin Barche
#kohra