अब वफा से मुकर गया है दिल
अब चाहत से दर गया है दिल
अब सहारो की बात न करना,
अब दिलासो से भर गया है दिल
जब बुलाते थे जिंदा दिल थे हम,
अब ना आओ के मार गया है दिल
क्या ढूंढते हो अब हमारे जेहन में,
अब तो जान से भी गुज़र गया है दिल
अब वो पागलपन ना बचा,ना बची वो वेहसात है,
शायद, चोट खाकर सुधर गया है दिल
©Àman Singh Solanki
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