वो हाथ जिसने अपनी पतंग ऊंची उड़ान भरें खुद की अपनी | हिंदी शायरी

"वो हाथ जिसने अपनी पतंग ऊंची उड़ान भरें खुद की अपनी मंजिल पाएं इसीलिए कभी ढील,कभी खीचातान करते हुए उसे ऊपर पहुंचाया आज उसी पतंग ने वो हाथ काटे जाने पर उसे जमीं पर गिरा दिया. M ©Meena"

 वो हाथ
जिसने अपनी पतंग ऊंची उड़ान भरें
खुद की अपनी मंजिल पाएं
इसीलिए कभी ढील,कभी खीचातान करते हुए उसे ऊपर पहुंचाया
 आज उसी पतंग ने वो हाथ काटे जाने पर उसे जमीं पर गिरा दिया.
M

©Meena

वो हाथ जिसने अपनी पतंग ऊंची उड़ान भरें खुद की अपनी मंजिल पाएं इसीलिए कभी ढील,कभी खीचातान करते हुए उसे ऊपर पहुंचाया आज उसी पतंग ने वो हाथ काटे जाने पर उसे जमीं पर गिरा दिया. M ©Meena

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