ना वो रूठे थे ना हम नाराज़ थे पारा उनका चढ़ा था हम भ | हिंदी Shayari

"ना वो रूठे थे ना हम नाराज़ थे पारा उनका चढ़ा था हम भी कम गुस्से में ना थे होगई दो दो बाते फिर क्या बढ़गये विवादें काश वो नाराज़ होते या हम रूठे होते तब मनाने की पहल हममे से कोई करता संभल जाती बात, होते हम साथ मानजाने की कोशिश कोई तो करता - 1OOrab . ©sourabh"

 ना वो रूठे थे ना हम नाराज़ थे
पारा उनका चढ़ा था
हम भी कम गुस्से में ना थे
होगई दो दो बाते
फिर क्या बढ़गये विवादें
काश वो नाराज़ होते या हम रूठे होते
तब मनाने की पहल हममे से कोई करता
संभल जाती बात, होते हम साथ
मानजाने की कोशिश कोई तो करता
                                       - 1OOrab













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©sourabh

ना वो रूठे थे ना हम नाराज़ थे पारा उनका चढ़ा था हम भी कम गुस्से में ना थे होगई दो दो बाते फिर क्या बढ़गये विवादें काश वो नाराज़ होते या हम रूठे होते तब मनाने की पहल हममे से कोई करता संभल जाती बात, होते हम साथ मानजाने की कोशिश कोई तो करता - 1OOrab . ©sourabh

#दोस्तो गुस्सा कभी मात होना
भले ही नाराज़ होजाइये ओर जल्दी मान भी जाइये।

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