पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा कितना आसान था इलाज मेर | हिंदी शायरी

"पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा कितना आसान था इलाज मेरा चारा-गर की नज़र बताती है हाल अच्छा नहीं है आज मेरा मैं तो रहता हूँ दश्त में मसरूफ़ क़ैस करता है काम-काज मेरा कोई कासा मदद को भेज अल्लाह मेरे बस में नहीं है ताज मेरा मैं मोहब्बत की बादशाहत हूँ मुझ पे चलता नहीं है राज मेरा ©j^khan"

 पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा 
कितना आसान था इलाज मेरा 

चारा-गर की नज़र बताती है 
हाल अच्छा नहीं है आज मेरा 

मैं तो रहता हूँ दश्त में मसरूफ़ 
क़ैस करता है काम-काज मेरा 

कोई कासा मदद को भेज अल्लाह 
मेरे बस में नहीं है ताज मेरा 

मैं मोहब्बत की बादशाहत हूँ 
मुझ पे चलता नहीं है राज मेरा

©j^khan

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा कितना आसान था इलाज मेरा चारा-गर की नज़र बताती है हाल अच्छा नहीं है आज मेरा मैं तो रहता हूँ दश्त में मसरूफ़ क़ैस करता है काम-काज मेरा कोई कासा मदद को भेज अल्लाह मेरे बस में नहीं है ताज मेरा मैं मोहब्बत की बादशाहत हूँ मुझ पे चलता नहीं है राज मेरा ©j^khan

#SAD

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