बनते बनते बिगड़ गई है।
जिंदगी में से जिंदगी निकल गई है
यहां वहां, जाने कहां कहां से उधड़ गई हैं
महसूस यही हुआ हर लम्हा ।
हर हाल में शुक्राना किया,
हाथ जुड़े रहे खिजमत में उसकी।
मंजिल तक पहुंचते पहुंचते संवर गई है।
लगा था जैसे बिगड़ गई है।
संवारते संवरते संवर गई है।।#नीर
©Neer
# जिंदगी