दस-साल "ही हुयें हैं तुमसे बिछड़े और देखो ना होल

""दस-साल "ही हुयें हैं तुमसे बिछड़े और देखो ना होली भी बेरंग सी लगने लगी तुम बिन , तुम कहतीं थी ना मैं खुश हूँ, तेरे प्रेम के रंग मे रंग कर । तुम कभी आओ ना....देखो कैसा "मल्ंग " सा फितरत कर लिया तेरे-शकील ने । जो गुलाल मेरे आखों मे तेरे तब्बसुम का है वो दिखता ही नही, किसी हुस्न ए मरकज मे।मैं एहसास के रंगो तले तेरा इन्तजार करता हूँ । तेरे-लिये ।"

 "दस-साल "ही हुयें हैं तुमसे बिछड़े 
और देखो ना होली भी बेरंग सी लगने 
लगी तुम बिन , 
तुम कहतीं थी ना मैं खुश हूँ, तेरे प्रेम
के रंग मे रंग कर ।
तुम कभी आओ ना....देखो कैसा "मल्ंग "
सा फितरत कर लिया तेरे-शकील ने ।
जो गुलाल मेरे आखों मे तेरे तब्बसुम का है
वो दिखता ही नही, किसी हुस्न ए मरकज 
मे।मैं एहसास के रंगो तले तेरा इन्तजार 
करता हूँ ।  तेरे-लिये ।

"दस-साल "ही हुयें हैं तुमसे बिछड़े और देखो ना होली भी बेरंग सी लगने लगी तुम बिन , तुम कहतीं थी ना मैं खुश हूँ, तेरे प्रेम के रंग मे रंग कर । तुम कभी आओ ना....देखो कैसा "मल्ंग " सा फितरत कर लिया तेरे-शकील ने । जो गुलाल मेरे आखों मे तेरे तब्बसुम का है वो दिखता ही नही, किसी हुस्न ए मरकज मे।मैं एहसास के रंगो तले तेरा इन्तजार करता हूँ । तेरे-लिये ।

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