White बहोत उदासी छाई है
किसकी ये परछाई है
दीपक सहमा सहमा है
आंधी ने ली अंगड़ाई है
अपनी ग़ज़ले तूम गाओ
नज्म मेरी कुम्हलाई है
आदत से मजबूर है वो
कसमे झूठी खाई है
एक तुम्ही हो साथ मेरे
यही मेरी भरपाई है
क्या समझू फिर से वो
देख मुझे शरमाई है
साकी एक जाम पीला
याद किसी की आई है
दुःख को बस महसूस करो
बोलोगे तो तन्हाई है
उम्र बढ़ा दी आप ने फिर
आप मेरी दवाई है
मेरे होने से सब कुछ है
आप की यही कमाई है
चूड़ियाँ ले ली हमने
निशाने पे तेरी कलाई है
©प्रशान्त पाण्डेय
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