*फर्क* आपदा को अवसर मे जो | हिंदी कविता

"*फर्क* आपदा को अवसर मे जो बदले तो कालाबाज़ार होता है! ऑक्सीजन का भी जो लंगर लगा दे वो सिर्फ सरदार होता है!! प्यार से जान मांगो तो वो अपनी जान भी दे दे! लाख से एक जब लड़ता है तो बिना हथियार होता है!! शर्म करो कालाबाज़ारियो कब तक लानत की खाओगे! जलती लाशो पर कब तक तुम अपनी रोटी बनाओगे!! सीखो कुछ सरदारों से वो जान निछावर कर देते! आये कोई देश पे विपदा वो खुद को आगे कर देते!! चौबीस घंटे लंगर चलते किसी जात मे फर्क ना करते! देने वाला वाहेगुरु है वो तन मन से सेवा करते!! जो जमा किया है सब दे दो,किसी मजबूर के काम आ जायेगा! दुआएं सिर्फ ऊपर साथ है जाती, बाकि सब यही रह जायेगा!! बचालो अगर बचा सको तो,जान सभी की प्यारी है! आम बीमारी नहीं है ये कोई ये बहुत बड़ी महामारी है!! जिस दिन *भारत* के हर इंसान को, इंसानियत से प्यार हो जायेगा!! ना कोई तब भूखा मरेगा,ना कोई अपनी जान गवाएगा!! फिर अपना *भारत* स्वस्थ रहेगा, गीत ख़ुशी के गायेगा! कोरोना तो फिर चीज़ ही क्या है, दुनिया से लड़ जायेगा!! *सचिन गिरधर* ©Sachin Girdhar"

 *फर्क*
                        
आपदा को अवसर मे जो बदले तो कालाबाज़ार होता है!
ऑक्सीजन का भी जो लंगर लगा दे वो सिर्फ सरदार होता है!!
प्यार से जान मांगो तो वो अपनी जान भी दे दे!
लाख से एक जब लड़ता है तो बिना हथियार होता है!!

शर्म करो कालाबाज़ारियो कब तक लानत की खाओगे!
जलती लाशो पर कब तक तुम अपनी रोटी बनाओगे!!
सीखो कुछ सरदारों से वो जान निछावर कर देते!
आये कोई देश पे विपदा वो खुद को आगे कर देते!!
चौबीस घंटे लंगर चलते किसी जात मे फर्क ना करते!
देने वाला वाहेगुरु है वो तन मन से सेवा करते!!

जो जमा किया है सब दे दो,किसी मजबूर के काम आ जायेगा!
दुआएं सिर्फ ऊपर साथ है जाती, बाकि सब यही रह जायेगा!!
बचालो अगर बचा सको तो,जान सभी की प्यारी है!
आम बीमारी नहीं है ये कोई ये बहुत बड़ी महामारी है!!

जिस दिन *भारत* के हर इंसान को, इंसानियत से प्यार हो जायेगा!!
ना कोई तब भूखा मरेगा,ना कोई अपनी जान गवाएगा!!
फिर अपना *भारत* स्वस्थ रहेगा, गीत ख़ुशी के गायेगा!
कोरोना तो फिर चीज़ ही क्या है, दुनिया से लड़ जायेगा!!

              *सचिन गिरधर*

©Sachin Girdhar

*फर्क* आपदा को अवसर मे जो बदले तो कालाबाज़ार होता है! ऑक्सीजन का भी जो लंगर लगा दे वो सिर्फ सरदार होता है!! प्यार से जान मांगो तो वो अपनी जान भी दे दे! लाख से एक जब लड़ता है तो बिना हथियार होता है!! शर्म करो कालाबाज़ारियो कब तक लानत की खाओगे! जलती लाशो पर कब तक तुम अपनी रोटी बनाओगे!! सीखो कुछ सरदारों से वो जान निछावर कर देते! आये कोई देश पे विपदा वो खुद को आगे कर देते!! चौबीस घंटे लंगर चलते किसी जात मे फर्क ना करते! देने वाला वाहेगुरु है वो तन मन से सेवा करते!! जो जमा किया है सब दे दो,किसी मजबूर के काम आ जायेगा! दुआएं सिर्फ ऊपर साथ है जाती, बाकि सब यही रह जायेगा!! बचालो अगर बचा सको तो,जान सभी की प्यारी है! आम बीमारी नहीं है ये कोई ये बहुत बड़ी महामारी है!! जिस दिन *भारत* के हर इंसान को, इंसानियत से प्यार हो जायेगा!! ना कोई तब भूखा मरेगा,ना कोई अपनी जान गवाएगा!! फिर अपना *भारत* स्वस्थ रहेगा, गीत ख़ुशी के गायेगा! कोरोना तो फिर चीज़ ही क्या है, दुनिया से लड़ जायेगा!! *सचिन गिरधर* ©Sachin Girdhar

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