बचपन अभी गया नहीं, खेल खिलौने बाकी है। इन मासूमों | हिंदी कविता Video

"बचपन अभी गया नहीं, खेल खिलौने बाकी है। इन मासूमों के हाथों में,, नादानी की राखी है।। जग का इनको पता नहीं, इंसान फरिश्ता धरती का। कुछ ऐसे भी होते है लाड़ो,, जिनका काम है गलती का।। ऐसे सख्शों से बचना है, जिनकी आंखों में शर्म नहीं। अपना पराया कोई नहीं, नियत खोटी और मर्म नहीं।। सच्चे दिल के कम ही मिलेंगे, पहचानना मुश्किल होगा। हे लाड़ो! अपनी रक्षा का,, स्वयं भार उठाना तुझे होगा। कानून की आंखे बन्द है, बस! पट्टी हटाना बाकी है। इन मासूमों के हाथों में,, नादानी की राखी है।। ©Satish Kumar Meena "

बचपन अभी गया नहीं, खेल खिलौने बाकी है। इन मासूमों के हाथों में,, नादानी की राखी है।। जग का इनको पता नहीं, इंसान फरिश्ता धरती का। कुछ ऐसे भी होते है लाड़ो,, जिनका काम है गलती का।। ऐसे सख्शों से बचना है, जिनकी आंखों में शर्म नहीं। अपना पराया कोई नहीं, नियत खोटी और मर्म नहीं।। सच्चे दिल के कम ही मिलेंगे, पहचानना मुश्किल होगा। हे लाड़ो! अपनी रक्षा का,, स्वयं भार उठाना तुझे होगा। कानून की आंखे बन्द है, बस! पट्टी हटाना बाकी है। इन मासूमों के हाथों में,, नादानी की राखी है।। ©Satish Kumar Meena

@नादानी की राखी

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