White गुलाब खिल बेर मुरझैं जांछ जिसम जवानी तकै भल | हिंदी कविता

"White गुलाब खिल बेर मुरझैं जांछ जिसम जवानी तकै भल लागूंछ बुढ़ियन बघत सूकिल ल्वत झुरि जांछ। प्रेम समायी हूण चैंहैछ दिल से दिल में। पितौ पाणि चढ़ि सून द्वि दिन में बगि जांछ। असली नकली कौ भेद लै जरुरी छा, बिन पछ्याण प्रेम नी है स्कून, यैक्कै लीजि पपीहा को प्यास, आश आसमान छू। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज""

 White गुलाब खिल बेर मुरझैं जांछ
जिसम जवानी तकै भल लागूंछ बुढ़ियन बघत सूकिल ल्वत झुरि जांछ।
प्रेम समायी हूण चैंहैछ
दिल से दिल में।
पितौ पाणि चढ़ि सून 
द्वि दिन में बगि जांछ।
असली नकली कौ भेद लै जरुरी छा,
बिन पछ्याण प्रेम नी है स्कून,
यैक्कै लीजि पपीहा को प्यास,
आश आसमान छू।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

White गुलाब खिल बेर मुरझैं जांछ जिसम जवानी तकै भल लागूंछ बुढ़ियन बघत सूकिल ल्वत झुरि जांछ। प्रेम समायी हूण चैंहैछ दिल से दिल में। पितौ पाणि चढ़ि सून द्वि दिन में बगि जांछ। असली नकली कौ भेद लै जरुरी छा, बिन पछ्याण प्रेम नी है स्कून, यैक्कै लीजि पपीहा को प्यास, आश आसमान छू। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

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