White अब तो खुद से भी नफरत होने लगी है मुझे , के म | हिंदी Poetry

"White अब तो खुद से भी नफरत होने लगी है मुझे , के मैं तुमसे नफरत क्यू कर ना पाया । तुम घंटों खड़ी देखती रही मुझे , मैं इज़हार ए मोहब्बत क्यू कर ना पाया। अब कहता हूं तो तुम सुनती नहीं हो , जब सुनती थी तो क्यू कह ना पाया। इतनी भी क्या जिद्द थी आवारगी की , के अपने ही काबू में क्यू रह न पाया । आगाज़ से ही निभाया इस मरियल ताल्लुक को , किसी और मर्ज से अपने घाव , क्यू भर न पाया। सालों बसर किए सहरा में तन्हा यूं ही , इतनी तिश्नगी के बाद भी क्यू मर न पाया। ©luv_ki_lines"

 White अब तो खुद से भी नफरत होने लगी है मुझे ,
के मैं तुमसे नफरत क्यू कर ना पाया ।

तुम घंटों खड़ी देखती रही मुझे ,
मैं इज़हार ए मोहब्बत क्यू कर ना पाया।

अब कहता हूं तो तुम सुनती नहीं हो ,
जब सुनती थी तो क्यू कह ना पाया।

इतनी भी क्या जिद्द थी आवारगी की ,
के अपने ही काबू में क्यू रह न पाया ।

आगाज़ से ही निभाया इस मरियल ताल्लुक को ,
किसी और मर्ज से अपने घाव , क्यू भर न पाया।

सालों बसर किए सहरा में तन्हा यूं ही ,
इतनी तिश्नगी के बाद भी क्यू मर न पाया।

©luv_ki_lines

White अब तो खुद से भी नफरत होने लगी है मुझे , के मैं तुमसे नफरत क्यू कर ना पाया । तुम घंटों खड़ी देखती रही मुझे , मैं इज़हार ए मोहब्बत क्यू कर ना पाया। अब कहता हूं तो तुम सुनती नहीं हो , जब सुनती थी तो क्यू कह ना पाया। इतनी भी क्या जिद्द थी आवारगी की , के अपने ही काबू में क्यू रह न पाया । आगाज़ से ही निभाया इस मरियल ताल्लुक को , किसी और मर्ज से अपने घाव , क्यू भर न पाया। सालों बसर किए सहरा में तन्हा यूं ही , इतनी तिश्नगी के बाद भी क्यू मर न पाया। ©luv_ki_lines

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