यूं ही सब कुछ कह नहीं सकता.... कि तुम् | हिंदी कविता

"यूं ही सब कुछ कह नहीं सकता.... कि तुम्हें देखे बगैर मैं तो रह नहीं सकता... मेरी मोहब्बत आंखों से समझ लो तुम जुबान से इजहार कर नहीं सकता... ©Neetesh kumar"

 यूं ही सब कुछ 
कह नहीं
          सकता....

कि तुम्हें देखे बगैर
 मैं तो रह 
          नहीं सकता...

मेरी मोहब्बत आंखों से
समझ लो तुम 
जुबान से इजहार
             कर नहीं सकता...

©Neetesh kumar

यूं ही सब कुछ कह नहीं सकता.... कि तुम्हें देखे बगैर मैं तो रह नहीं सकता... मेरी मोहब्बत आंखों से समझ लो तुम जुबान से इजहार कर नहीं सकता... ©Neetesh kumar

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