काश! भूल जाते लोग ये धर्म भेदभाव,
तलवारों के बदले होते हाथों में रंग - गुलाल,
नफ़रत की ना होती अंध होड़ कहीं,
भगवा और हरे रंग से रंगे होते हर गाल।
काश इस होली फिर हिन्दू और मुस्लिम सबकुछ भूलकर एकजुट हो जाए और खून ना दिखे हर तरफ बस गुलाल के रंग बिखरे
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