बची है रौशनी जो भी चराग़ों से निकल जाए
जो मेरे दिल से निकला है दुआओं से निकल जाए
हम ऐसे लोग जो दुश्मन के रोने पर ठहर जाएँ
वो ऐसा शख़्स जो अपनों की लाशों से निकल जाए
पढ़ाने का अगर मतलब है हाथों से निकल जाना
ख़ुदाया फ़िर मिरी बेटी भी हाथों से निकल जाए
©Kushal
वज़्न- 1222 1222 1222 1222
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