चलो अपने हाथों में मसाल लेकर अपने क़िस्मत के अंधेरों को दूर करते है,
चलो अपनी मंजिल को अपने कदमों पर झुकने को मजबूर करते है,
दुरुस्त करते है अपने ही हाथों से उन सारे रास्तों को जिनपर हमें चलना है,
थोड़ा खुद पर यकीं करते है, थोड़ा खुद पर ग़ुरूर करते है।।
©Kajal Sugandh
#solotraveller